जातक कालीन सांस्कृतिक जीवन,रूढ़ समाजिक प्रथाओं का विरोध एवं जातक युग में सामाजिक समता तथा दलित वर्ग के उत्थान का प्रयास : शोध निबंध
शोध निबंध जातक कालीन सांस्कृतिक जीवन,रूढ़ समाजिक प्रथाओं का विरोध एवं जातक युग में सामाजिक समता तथा दलित वर्ग के उत्थान का प्रयास शोध निबंध, डॉ. सुनीता सिन्हा. शिक्षिका, डी. ए. वी. पब्लिक स्कूल, बिहारशरीफ़, नालंदा. सामाजिक जीवन एवं जातक किसी भी युग के सांस्कृतिक जीवन के विवरण के लिए कथा - साहित्य के महत्व की उपेक्षा नहीं की जा सकती । कहानियाँ समाज का प्रतिबिम्ब होती है । इस दृष्टिकोण से जातक कालीन सांस्कृतिक जीवन का विवरण प्रस्तुत करने के लिए जातकों की बड़ी उपयोगिता है । खुददक - निकाय में समाविष्ट 547 कहानियों का संग्रह जातक है । जातक की कहानियाँ बुद्धकालीन समाज में प्रचलित थी । बौद्ध भिक्षुओं ने इन्हें भगवान बुद्ध के पूर्व जन्मों की घटनाओं से संबद्ध कर अपने उपदेशों के प्रचार योग्य बना लिया । जातक कथाओं में भारत के सामाजिक , आर्थिक , धार्मिक तथा प्रशासनीक विकास -क्रम की एक महत्वपूर्ण अवस्था का प्रमाणिक एवं रोचक विवरण प्रस्तुत किया गया है । यह युग अपनी अनेक विशेषताओं , जैसे बुद्ध द्वारा रूढ़ समाजिक प्रथाओं का विरोध एवं सामाजिक समता तथा दलित व...